Tuesday, August 24, 2010

कथा संसार

रिश्तें 
राखी सिर पर थी और भाई बैचेन की दीदी को  राखी पर कम से कम पांच सो सात सो साडी तो देनी पड़ेगी ऊपर से दीदी के यहाँ आने जाने का खर्चा और किराया  अलग से  
उसे याद था की बचपन में दीदी की गिफ्ट के लिए वह अपनी गुल्लक न्योछावर करने को तैयार रहता था मगर अब वह जब कमाने लगा हे कमरतोड़ महंगाई ने कमजोर  कर दिया हे उसे सो उसने दीदी को फ़ोन पर कहा - सारी दीदी इस बार राखी पर शायद नहीं आ पाउगा 
दीदी भी अपने भाई का स्वभाव और उसकी कमजोर आर्थिक स्थिति जानती थी सो बड़े मन से बोली कोई बात नहीं भाई में राखी पोस्ट कर देती हू  मगर इस बार तुझसे  डबल गिफ्ट चाहिए साडी तो तू हमेशा देता हे पर इस बार  मुझे साडी वाड़ी नहीं बल्कि तेरे यहाँ की गजक पट्टी और रेबडी नमकीन दोनों चाहिए और तुझे कसम हे यदि तुने पाव पाव से ज्यादा भेजी तो क्योकि ये दोनों न तो तेरे  जीजाजी को ज्यादा भाती हे और न बच्चे ज्यादा खाते हैं और में अकेली भला कितना खा सकती हु सुना हैं रघु मामा किसी काम से आने वाले हे तो उनके हाथ मेरा गिफ्ट भेजना मत भूलना 
फ़ोन पर बातचीत ख़त्म होने के बाद दोनो  आंसू पोछ रहे थे   

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